Wednesday, 25 February 2015

 बजट से रियल एस्टेट को उम्मीद

मोदी के वित्त मंत्री अरुण जेटली से रियल एस्टेट सेक्टर को बहुत उम्मीद है
लिहाजा इस सेक्टर अपनी नजर बजट पर गढ़ाए हुए है 

बजट नजदीक है ऐेसे में उम्मीदों के बुलबुले उठना लाजमी है, इस बजट से रियल एस्टेट सेक्टर को खास उम्मीद है, क्योंकि ये वो सेक्टर है जहां लंबे अरसे से धंधा काफी मंदा चल रहा है. घटती बिक्री और लंबे क्लियरेंस प्रोसेस से परेशान रियल एस्टेट सेक्टर इस साल अरूण जेटली से इंडस्ट्री में नई जान फूंकने के लिए बूस्टर डोज की उम्मीद कर रही है. फिलहाल रियल एस्टेट सेक्टर के सामने दो बडी समस्याएं हैं ठप्प डिमांड और नकदी की तंगी. आनेवाले बजट में डेवलपर इसी का समाधान होते देखना चाहते हैं, लेकिन इसके अलावा भी कई अहम मांग मोदी के मंत्री अरुण जेटली से डेवलेपर्स कर रहे हैं.
 
डेवलपर्स की मांग
  1. सबसे बड़ी मांग पूरे सेक्टर के लिए इंडस्ट्री स्टेटस की है, जिससे डेवलपर को लंबे समय के लिए और सस्ता कर्ज मिल सके

  2. तेज अप्रूवल के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस

  3. बजट में जीएसटी को लेकर सफाई लाने की जरूरत है

  4. रिटेल में एफडीआई पर जल्द हो फैसला

  5. रियल एस्टेट सेक्टर में विदेशी निवेश, इस सेक्टर की जरूरतो को पूरा करने के लिए सिर्फ घरेलू फंडिंग से बात नहीं बन सकती है

मांग ये भी है कि बजट में इस सेक्टर की लागत को कम करने को लेकर कदम उठाये जाए. रियल एस्टेट सेक्टर की लागत कम होने से घरों की कीमत कम होगी जिसका सीधा फायदा खरीदार को मिलेगा. सस्ते घर का सपना और हर किसी को आशियाना नसीब हो ये इरादा मोदी सरकार का भी है लेकिन सपने हकीकत में बदले इसके लिये पहल की जरूरत है जो इस बार बजट में होगी या नहीं इस पर पूरा रियल इस्टेट सेक्टर नजर गढ़ाएं है.


अरुण जेटली से उम्मीद तो आम आदमी को भी है कि उनके सिर पर छत कब होगा
उम्मीद की वजह भी खुद मोदी सरकार ही है

मोदी सरकार ने अच्छे दिनों का दिलासा देने के साथ ही हर व्यक्ति का घर हो अपना ये, सपना भी सभी को दिखाया था. ऐसे में सपनों का घर खरीदने की आस में बैठे खरीदार टकटकी लगाकर बजट की तरफ देख रहे हैं कि इस बजट में उनके लिए क्या होगा.

खरीदारों की उम्मीद
  1. 2022 तक सबके घर के सपने को पूरा करने के लिए टैक्स में रियायत दी जाये

  2. आयकर छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर दिया जाए

  3. बैंक से लोन लेने पर ब्याज दरें कम हो

  4. अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग में फ्लैट की खरीदारी पर से सर्विस टैक्स हटाया जाय साथ ही

  5. पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सरकार ठोस कदम

उम्मीद तो और भी कई हैं, लेकिन नाराजगी भी है. खरीदारों की नाराजगी इस बात को लेकर रहती है कि सरकार के जो भी फैसले होते हैं वो डेवलेपर्स की सहुलियत तक ही सीमित होते हैं. ऐसे में खरीदार इस बार उम्मीद कर रहा है कि सरकार बदली है तो शायद सोच भी बदले और बजट का प्रवधान कुछ इस तरह से हो जिसका फायदा सिर्फ डेवलेपर और रियल एस्टेट कंपनी को ना होकर उन लोगों को भी मिले जिनके दम पर सरकार सत्ता में आई है. ये उम्मीद मोदी से है, ये उम्मीद अरुण जेटली से भी है कि जो सपना लोगों की आंखो में अपने घर का पल रहा है वो धरातल पर साकार हो जाए


मोदी सरकार को सत्ता में आए एक साल हो चुके हैं
लोग अब इंतजार रिजल्ट कर रहे हैं 

सपने सबको दिखाये गए, चाहे डेवलेपर्स हो या फिर बायर्स. इसलिए मोदी के वित्त मंत्री अरुण जेटली से उम्मीद सभी लगाए बैठे हैं. उम्मीद इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि पिछले बजट में रियल एस्टेट को लेकर काफी कुछ ऐलान हुआ था. ऐसे में इस बार उम्मीद कुछ बड़े फैसलों की है, जिससे डिमांड और सप्लाइ में संतुलन बनाया जा सके. उम्मीदें तो बहुत है, लेकिन कौन-कौन सी मांगों को पहनाया जा सकता है हकीकत का अमलीजामा.

इस बजट के बड़े ऐलान !
  1. स्मार्ट सिटी को लेकर नए ऐलान संभव

  2. बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग को मिल सकता है बढ़ावा

  3. रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट पर सफाई आने की उम्मीद

  4. होमलोन पर टैक्स छूट बढ़ने की संभावना

  5. मेक इन इंडिया को मजबूत बनाने के ठोस फैसले

देश में घरों की मांग काफी है और इसे पूरा करने के लिए रियल एस्टेट को सक्षम बनाना है तो ना सिर्फ ठोस फैसले होंगे बल्की वो प्लैटफॉर्म भी तैयार कर के देना होगा जहां डेवलेपर्स आसानी से काम कर सकें तो खरीदारा बिना किसी डर के मार्केट में पैसा लगा सके



Sunday, 22 February 2015

                                      अरविंद का अग्निपथ

सरकार छोड़ने के एक साल बाद जब, उसी ऐतिहासिक रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल शपथ ले रहे थे...तो हजारों की संख्या में पहुंचे लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट से केजरीवाल गदगद हो उठे...ये तालियों की गड़गड़ाहट केजरीवाल से सवाल कर रही थी कि जो आपने वादे किये हैं उसे पूरा करने की शुरुआत यहीं से होती है .
आम आदमी की उम्मीद अब केजरीवाल से है, और दिल्ली दिल से इंतजार कर रही है क्योंकि इसमें शामिल है बिजली के बिलों में 50फीसदी कटौती का वादा. हर महीने 20 हजार लीटर मुफ्त पानी का वादा. पूरी दिल्ली को फ्री वाई-फाई जोन में बदलने का वादा. वादा तो ये भी है कि सुरक्षित दिल्ली के लिए चप्पे चप्पे पर 15लाख सीसीटीवी कैमरे लगाएं जाएंगे. अस्थायी कर्मचारी भी टक टकी लगाकर केजरीवाल की तरफ देख रहे हैं कि उनका सपना कैसे पूरा होगा. केजरीवाल को कुर्सी मिलने के बाद बस सवाल ही सवाल है, कि क्या वादे निभा पाएंगे केजरीवाल. ये सवाल इसलिए क्योंकि दिल्ली का सालाना बजट महज 37हजार करोड़ है और केजरीवाल के 5 वादों की कीमत है ढाई लाख करोड़ रुपये.


50 फीसदी सस्ती बिजली कैसे ?
केजरीवाल की सबसे बड़ी चुनौती बिजली है. रोशनी और हवा की ये कीमत हमेशा से राजनीतिक मुद्दा रही है...लेकिन इसे आधा करने का वादा केजरीवाल के लिए करिश्मा साबित हुआ है...अब दूसरी पारी में भी लोग कुछ यही उम्मीद लगाए बैठे हैं
मीटर के दौड़ते ही आपकी जेब से जिंदगी को रोशन रखने के लिए एक बड़ी रकम निकल जाती है. ये हाल तब है जब बाकी राज्यों के मुकाबले दिल्ली की बिजली बेहद सस्ती मानी जाती है. दिल्ली में बिजली, बिजली बनाने वाली कंपनियां नहीं बल्की इसके लिए तीन वितरण कंपनियां बिजली खरीद कर आपके घरों को रौशन करती हैं.
अरविंद केजरीवाल ने जो दिल्ली वालों से वादा किया है आखिर उसमें परेशानी क्या है इसको समझने के लिए जरा बिजली की मौजूदा कीमतें समझिए. 0से 200यूनिट के लिए अभी दिल्ली वालों को 2 रुपये 80पैसे प्रति यूनिट देना पड़ता है जबकी सरकार इस पर सब्सिडी के तौर पर 1रुपये 20 पैसे देती है. इसी तरह 201 से 400 यूनिट के लिए अभी दिल्ली वालों को 5 रुपये 15पैसे खर्च करना पड़ता है और सरकार सब्सिडी 80 पैसे प्रति यूनिट दे रही है. इस सब्सिडी का हिसाब लगाया जाए तो दिल्ली सरकार पर सालाना करीब 300 करोड़ का बोझ पड़ता है. केजरीवाल ने साल2013 में सरकार बनाने के दूसरे दिन सिर्फ 400 यूनिट तक बिजली के बिल आधे करने का ऐलान किया था. इससे दिल्ली सरकार का बोझ बढ़ गया 400 यूनिट तक के बिल पर केजरीवाल की सब्सिडी महज 3महीने चली, उन तीन महीनों में दिल्ली की तिजोरी पर 200 करोड़ का बोझ पड़ा. 400 यूनिट के लिए ही साल भर में ये बोझ करीब 800 करोड़ रुपये हो जाता. इस बार भी केजरीवाल ने बिजली के बिल आधा करने का वादा किया है. कितने यूनिट तक की बिजली के बिल आधे होंगे इसका कोई जिक्र घोषणापत्र में नहीं था. ऐसे में अगर दिल्ली के हर घर की बिजली का बिल आधा होगा तो क्या होगा ये भी समझने की कोशिश करते हैं. दिल्ली का सालाना बिजली का बिल करीब 3000 करोड़ रुपये है. आधी कीमत पर बिजली देने का मतलब है 1500 करोड़ रुपये की सब्सिडी, यानी पांच साल में दिल्ली सरकार बिजली की सब्सिडी पर 7500 करोड़ खर्च करेगी. यानी दिल्ली के कुल बजट का पांच फीसदी सिर्फ बिजली पर खर्च होगा जो कि बेहद महंगा साबित हो सकता है.

कैसे बुझेगी प्यास ?
पिछली सरकार में हर रोज 667 लीटर पानी मुफ्त देने का काम किया था और इस बार भी वही 20 हजार लीटर मुफ्त पानी हर महीने देने का वादा दोहराया गया है.
दिल्ली की एक बड़ी आबादी बरसों से टैंकरों के सहारे अपनी प्यास बुझा रही है. सालों से दिल्ली की जनता पानी की एक एक बूंद के लिए जंग लड़ती रही है. परिवार की सबसे अहम जरूरत पानी को केजरीवाल ने चुनावी मुद्दे में भी बदला. सपने में भी बूंद-बूंद को तरसते दिल्ली के सात लाख झुग्गीवाले और बिना पाइपलाइन वाले इलाकों के 50लाख लोग अब केजरीवाल के इस वादे को पूरा होते देखना चाहते हैं. अपने घोषणापत्र में आम आदमी पार्टी ने पानी के मीटर वाले घरों को 20 हजार लीटर पानी मुफ्त देने का दोबारा ऐलान किया है. केजरीवाल की दूसरी पारी में पानी के मोर्चे पर कई और वादे भी हैं. इसकी भी पड़ताल हमने करने की कोशिश की है. पहला यमुना से पीने लायक पानी का इंतजाम. दूसरा बरसात के पानी को इकट्ठा करना यानी रेनवाटर हार्वेस्टिंग और तीसरा हरियाणा की मुनक नहर से दिल्ली को ज्यादा पानी दिलवाना. ये वादे जब पूरे होंगे तब होंगे. पहले तो केजरीवाल के सामने दिल्ली के लिए अपने 49 दिनों के पहले कार्यकाल में लागू किया गया मुफ्त पानी का इंतजाम सबसे आसान रास्ता होगा लेकिन इसका कितना असर दिल्ली के बजट पर पड़ेगा इसे भी समझ लेते हैं. 

20 हजार लीटर प्रति माह पानी यानी करीब 667 लीटर हर रोज मुफ्त पानी. केजरीवाल की ये योजना 3 महीने तक चली. तीन महीने में कुल खर्च हुए 40 करोड़ रुपये. अगर ये योजना पूरे एक साल के लिए लागू होगा तो दिल्ली जल बोर्ड को अपनी जेब से 160 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे..ये आपका पैसा था जो दिल्ली में मुफ्त पानी बांटने के लिए साधारण सब्सिडी से ज्यादा खर्च किया गया. इस बार भी केजरीवाल के इस खर्च पर सवाल उठ सकते हैं लेकिन आम आदमी पार्टी का कहना है कि वादा किया है तो निभाएंगे. केजरीवाल के मुफ्त पानी के वादे पर कई और सवाल हैं जो अनसुलझे हैं. दिल्ली की जनसंख्या करीब 1.8 करोड़ है. इसमें से 50 लाख लोगों के पास पानी की पाइपलाइन नहीं है. इन्हें पीने का पानी कैसे मिलेगा? क्या मुफ्त पानी से पैसे बरबाद होंगे? दिल्ली जलबोर्ड की सालाना मुनाफा1000 करोड़ रुपये हैं. लेकिन इसमें से सीवेज और पानी पर 446 करोड़ सब्सिडी में खर्च किया गया. इस पैसे का इस्तेमाल 50 लाख लोगों तक पाइपलाइन पहुंचाने में हो सकता है. इससे 7 लाख झुग्गीवासी को भी पीने का पानी मिल सकता है.

चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैसे?
दिल्ली में महिला सुरक्षा पर सभी पार्टियों का जोर था, अपने घोषणापत्र में आम आदमी पार्टी ने इसके लिए सबसे बड़ा ऐलान किया था कि पूरी दिल्ली में 15 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, लेकिन क्या धरातल पर ये मुमकिन है?
आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में महिला सुरक्षा के लिए ना सिर्फ दिल्ली में 15 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने का वादा किया है बल्कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए मोबाइल पर एक बटन भी होगा जिसे दबाते ही उस इलाके में पुलिस की कार्रवाई होगी. केजरीवाल अपने चुनाव अभियान के दौरान ये वादा कर बार-बार महिलाओं की तालियां बटोरने में तो कामयाब हो गए, लेकिन क्या दिल्ली की तिजोरी इसका बोझ सहने के लिए तैयार है. शायद नहीं? आम तौर पर सबसे सस्ते सीसीटीवी कैमरे की कीमत है 1200 रुपये है. इस हिसाब से 15 लाख सीसीटीवी कैमरों की कीमत करीब 200 करोड़ रुपये होगी. अगर ज्यादा खरीद पर 50 फीसदी की छूट भी मिली है तो ये कीमत 100 करोड़ रुपये होगी.

ये सिर्फ सीसीटीवी कैमरे की कीमत है. इसके बाद केजरीवाल की टीम को जरूरत होगी सर्वर और मेंटिनेंस की. कैमरों की मॉनीटरिंग के लिए1लाख से ज्यादा लोगों की. साथ ही उन्हें तनख्वाह देने के लिए भी इंतजाम करना होगा. मुंबई में 26/11 के हमले के बाद कुछ ऐसी ही कोशिश हुई थी जिससे कोई आतंकी हमला ना हो और अगर हो तो उसके सुराग मिल जाएं. योजना के तहत 6 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाए गए. इस प्रोजेक्ट पर मुंबई को 950 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ा. दिल्ली में इससे 250 गुना ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगने हैं, ऐसे में दिल्ली प्रोजेक्ट पर खर्च करीब 2 लाख 37 हजार करोड़ का आ सकता है


पूरी दिल्ली फ्री वाईफाई ?
दिल्ली को फ्री वाई फाई जोन बनाने के वादे ने केजरीवाल को दिल्ली के उस तबके से जोड़ा जो अपनी दुनिया में मस्त है, और हथेली में समाए मोबाईल फोन के जरिये दुनिया से जुड़े हैं. अब इंतजार फ्री वाई फाई सिग्नल का मोबाईल फोन से जुड़ने का हो रहा है
दिल्ली को ग्लोबल सिटी बनाने और महिलाओं की सुरक्षा के वादे के अलावा केजरीवाल ने दिल्ली को फ्री वाई-फाई जोन में बदलने का वादा भी किया है. लेकिन क्या केजरीवाल अपना ये वादा पूरा कर पाएंगे. ये सवाल इसलिए भी क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के चुनावी क्षेत्र के दो घाटों को भी हाल ही में फ्री वाई-फाई जोन बनाया गया है. दशाश्वमेध घाट और शीतला घाट पर फ्री वाई-फाई की योजना लागू हो गई है. प्रधानमंत्री के चुनावी क्षेत्र में फ्री वाई-फाई के लिए करीब100 करोड़ रुपये का खर्च आया है. सवाल ये उठ रहा है कि क्या केजरीवाल दिल्ली के महज 37 हजार करोड़ के बजट से मोटी रकम दिल्ली की हवाओं में तैरते इंटरनेट पर खर्च करने जा रहे हैं.

ये सवाल बड़ा इसलिए भी है कि क्योंकि वाराणसी में फ्री वाईफाई के लिए सीमा तय की गई है. जबकि अम आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में इस बात का खुलासा नहीं किया है कि फ्री वाई-फाई की सीमा क्या होगी. अगर बनारस की बात करें तो यहां 30 मिनट तक वाई-फाई का इस्तेमाल मुफ्त रखा गया है. इसके बाद के लिए कंपनियों के डाटा कार्ड दिए जाएंगे जिसमें 30 मिनट के लिए 20रुपये, 60 मिनट के लिए 30 रुपये, 120 मिनट के लिए 50 रुपये. अगर आप पूरा दिन इंटरनेट का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो 70 रुपये चुका कर कर सकते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी में 24 घंटे मुफ्त वाई फाई नहीं दे पाए, ऐसे में अरविंद केजरीवाल क्या जुगाड़ भिड़ाते हैं इसके लिए सबकी नजरें टिकी हुई है