अरविंद का अग्निपथ
सरकार छोड़ने के एक
साल बाद जब, उसी
ऐतिहासिक रामलीला मैदान में
अरविंद केजरीवाल शपथ ले रहे
थे...तो हजारों की
संख्या में पहुंचे लोगों की
तालियों की गड़गड़ाहट से
केजरीवाल गदगद हो उठे...ये
तालियों की गड़गड़ाहट केजरीवाल
से सवाल कर रही थी कि जो आपने
वादे किये हैं उसे पूरा करने की शुरुआत यहीं से होती है .
आम आदमी की उम्मीद अब
केजरीवाल से है, और
दिल्ली दिल से इंतजार कर रही
है क्योंकि इसमें शामिल है
बिजली के बिलों में 50फीसदी
कटौती का वादा. हर
महीने 20 हजार लीटर
मुफ्त पानी का वादा. पूरी
दिल्ली को फ्री वाई-फाई
जोन में बदलने का वादा. वादा
तो ये भी है कि सुरक्षित दिल्ली
के लिए चप्पे चप्पे पर 15लाख
सीसीटीवी कैमरे लगाएं जाएंगे.
अस्थायी कर्मचारी भी
टक टकी लगाकर केजरीवाल की तरफ
देख रहे हैं कि उनका सपना कैसे
पूरा होगा. केजरीवाल
को कुर्सी मिलने के बाद बस
सवाल ही सवाल है, कि
क्या वादे निभा पाएंगे केजरीवाल.
ये सवाल इसलिए क्योंकि
दिल्ली का सालाना बजट महज
37हजार करोड़ है और
केजरीवाल के 5 वादों
की कीमत है ढाई लाख करोड़ रुपये.
50 फीसदी
सस्ती बिजली कैसे ?
केजरीवाल
की सबसे बड़ी चुनौती बिजली
है. रोशनी और
हवा की ये कीमत हमेशा से राजनीतिक
मुद्दा रही है...लेकिन
इसे आधा करने का वादा केजरीवाल
के लिए करिश्मा साबित हुआ
है...अब दूसरी
पारी में भी लोग कुछ यही उम्मीद
लगाए बैठे हैं
मीटर
के दौड़ते ही आपकी जेब से जिंदगी
को रोशन रखने के लिए एक बड़ी
रकम निकल जाती है. ये
हाल तब है जब बाकी राज्यों के
मुकाबले दिल्ली की बिजली बेहद
सस्ती मानी जाती है. दिल्ली
में बिजली, बिजली
बनाने वाली कंपनियां नहीं
बल्की इसके लिए तीन वितरण कंपनियां बिजली खरीद कर आपके घरों को रौशन करती हैं.
अरविंद केजरीवाल ने
जो दिल्ली वालों से वादा किया
है आखिर उसमें परेशानी क्या
है इसको समझने के लिए जरा बिजली
की मौजूदा कीमतें समझिए.
0से 200यूनिट
के लिए अभी दिल्ली वालों को
2 रुपये 80पैसे
प्रति यूनिट देना पड़ता है
जबकी सरकार इस पर सब्सिडी के
तौर पर 1रुपये 20
पैसे देती है. इसी
तरह 201 से 400 यूनिट
के लिए अभी दिल्ली वालों को
5 रुपये 15पैसे
खर्च करना पड़ता है और सरकार
सब्सिडी 80 पैसे
प्रति यूनिट दे रही है. इस
सब्सिडी का हिसाब लगाया जाए
तो दिल्ली सरकार पर सालाना
करीब 300 करोड़ का
बोझ पड़ता है. केजरीवाल
ने साल2013 में सरकार
बनाने के दूसरे दिन सिर्फ 400
यूनिट तक बिजली के बिल
आधे करने का ऐलान किया था.
इससे दिल्ली सरकार
का बोझ बढ़ गया 400 यूनिट
तक के बिल पर केजरीवाल की
सब्सिडी महज 3महीने
चली, उन तीन महीनों
में दिल्ली की तिजोरी पर 200
करोड़ का बोझ पड़ा.
400 यूनिट के लिए ही साल
भर में ये बोझ करीब 800 करोड़
रुपये हो जाता. इस
बार भी केजरीवाल ने बिजली के
बिल आधा करने का वादा किया है.
कितने यूनिट तक की
बिजली के बिल आधे होंगे इसका
कोई जिक्र घोषणापत्र में नहीं
था. ऐसे में अगर
दिल्ली के हर घर की बिजली का
बिल आधा होगा तो क्या होगा ये
भी समझने की कोशिश करते हैं.
दिल्ली का सालाना
बिजली का बिल करीब 3000 करोड़
रुपये है. आधी कीमत
पर बिजली देने का मतलब है 1500
करोड़ रुपये की सब्सिडी,
यानी पांच साल में
दिल्ली सरकार बिजली की सब्सिडी
पर 7500 करोड़ खर्च
करेगी. यानी दिल्ली
के कुल बजट का पांच फीसदी सिर्फ
बिजली पर खर्च होगा जो कि बेहद
महंगा साबित हो सकता है.
कैसे
बुझेगी प्यास ?
पिछली
सरकार में हर रोज 667 लीटर
पानी मुफ्त देने का काम किया
था और इस बार भी वही 20 हजार
लीटर मुफ्त पानी हर महीने देने
का वादा दोहराया गया है.
दिल्ली
की एक बड़ी आबादी बरसों से
टैंकरों के सहारे अपनी प्यास
बुझा रही है. सालों
से दिल्ली की जनता पानी की एक
एक बूंद के लिए जंग लड़ती रही
है. परिवार की सबसे
अहम जरूरत पानी को केजरीवाल
ने चुनावी मुद्दे में भी बदला.
सपने में भी बूंद-बूंद
को तरसते दिल्ली के सात लाख
झुग्गीवाले और बिना पाइपलाइन
वाले इलाकों के 50लाख
लोग अब केजरीवाल के इस वादे
को पूरा होते देखना चाहते हैं.
अपने घोषणापत्र में
आम आदमी पार्टी ने पानी के
मीटर वाले घरों को 20 हजार
लीटर पानी मुफ्त देने का दोबारा
ऐलान किया है. केजरीवाल
की दूसरी पारी में पानी के
मोर्चे पर कई और वादे भी हैं.
इसकी भी पड़ताल हमने
करने की कोशिश की है. पहला
यमुना से पीने लायक पानी का
इंतजाम. दूसरा बरसात
के पानी को इकट्ठा करना यानी
रेनवाटर हार्वेस्टिंग और
तीसरा हरियाणा की मुनक नहर
से दिल्ली को ज्यादा पानी
दिलवाना. ये वादे
जब पूरे होंगे तब होंगे.
पहले तो केजरीवाल के
सामने दिल्ली के लिए अपने 49
दिनों के पहले कार्यकाल
में लागू किया गया मुफ्त पानी का इंतजाम सबसे आसान रास्ता होगा लेकिन इसका कितना असर दिल्ली के बजट पर पड़ेगा इसे भी समझ लेते हैं.

20 हजार लीटर प्रति माह
पानी यानी करीब 667 लीटर
हर रोज मुफ्त पानी. केजरीवाल
की ये योजना 3 महीने
तक चली. तीन महीने
में कुल खर्च हुए 40 करोड़
रुपये. अगर ये योजना
पूरे एक साल के लिए लागू होगा
तो दिल्ली जल बोर्ड को अपनी
जेब से 160 करोड़ रुपये
खर्च करने होंगे..ये
आपका पैसा था जो दिल्ली में
मुफ्त पानी बांटने के लिए
साधारण सब्सिडी से ज्यादा
खर्च किया गया. इस
बार भी केजरीवाल के इस खर्च
पर सवाल उठ सकते हैं लेकिन आम
आदमी पार्टी का कहना है कि
वादा किया है तो निभाएंगे.
केजरीवाल के मुफ्त
पानी के वादे पर कई और सवाल
हैं जो अनसुलझे हैं. दिल्ली
की जनसंख्या करीब 1.8 करोड़
है. इसमें से 50
लाख लोगों के पास पानी
की पाइपलाइन नहीं है. इन्हें
पीने का पानी कैसे मिलेगा?
क्या मुफ्त पानी से
पैसे बरबाद होंगे? दिल्ली
जलबोर्ड की सालाना मुनाफा1000
करोड़ रुपये हैं.
लेकिन इसमें से सीवेज
और पानी पर 446 करोड़
सब्सिडी में खर्च किया गया.
इस पैसे का इस्तेमाल
50 लाख लोगों तक
पाइपलाइन पहुंचाने में हो
सकता है. इससे 7
लाख झुग्गीवासी को
भी पीने का पानी मिल सकता है.
चप्पे-चप्पे
पर सीसीटीवी कैसे?
दिल्ली
में महिला सुरक्षा पर सभी
पार्टियों का जोर था,
अपने घोषणापत्र
में आम आदमी पार्टी ने इसके
लिए सबसे बड़ा ऐलान किया था
कि पूरी दिल्ली में 15 लाख
सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे,
लेकिन क्या धरातल
पर ये मुमकिन है?
आम
आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र
में महिला सुरक्षा के लिए ना
सिर्फ दिल्ली में 15 लाख
सीसीटीवी कैमरे लगाने का वादा
किया है बल्कि महिलाओं की
सुरक्षा के लिए मोबाइल पर एक
बटन भी होगा जिसे दबाते ही उस
इलाके में पुलिस की कार्रवाई
होगी. केजरीवाल
अपने चुनाव अभियान के दौरान
ये वादा कर बार-बार
महिलाओं की तालियां बटोरने
में तो कामयाब हो गए, लेकिन
क्या दिल्ली की तिजोरी इसका
बोझ सहने के लिए तैयार है.
शायद नहीं? आम
तौर पर सबसे सस्ते सीसीटीवी
कैमरे की कीमत है 1200 रुपये
है. इस हिसाब से 15
लाख सीसीटीवी कैमरों
की कीमत करीब 200 करोड़
रुपये होगी. अगर
ज्यादा खरीद पर 50 फीसदी
की छूट भी मिली है तो ये कीमत
100 करोड़ रुपये होगी.

ये सिर्फ सीसीटीवी
कैमरे की कीमत है. इसके
बाद केजरीवाल की टीम को जरूरत
होगी सर्वर और मेंटिनेंस की.
कैमरों की मॉनीटरिंग
के लिए1लाख से ज्यादा
लोगों की. साथ ही
उन्हें तनख्वाह देने के लिए
भी इंतजाम करना होगा. मुंबई
में 26/11 के हमले के
बाद कुछ ऐसी ही कोशिश हुई थी
जिससे कोई आतंकी हमला ना हो
और अगर हो तो उसके सुराग मिल
जाएं. योजना के तहत
6 हजार सीसीटीवी
कैमरे लगाए गए. इस
प्रोजेक्ट पर मुंबई को 950
करोड़ रुपये खर्च करना
पड़ा. दिल्ली में
इससे 250 गुना ज्यादा
सीसीटीवी कैमरे लगने हैं,
ऐसे में दिल्ली प्रोजेक्ट
पर खर्च करीब 2 लाख
37 हजार करोड़ का आ
सकता है
पूरी
दिल्ली फ्री वाईफाई ?
दिल्ली को
फ्री वाई फाई जोन बनाने के
वादे ने केजरीवाल को दिल्ली
के उस तबके से जोड़ा जो अपनी
दुनिया में मस्त है, और
हथेली में समाए मोबाईल फोन
के जरिये दुनिया से जुड़े हैं.
अब इंतजार फ्री वाई
फाई सिग्नल का मोबाईल फोन से
जुड़ने का हो रहा है
दिल्ली
को ग्लोबल सिटी बनाने और महिलाओं
की सुरक्षा के वादे के अलावा
केजरीवाल ने दिल्ली को फ्री
वाई-फाई जोन में
बदलने का वादा भी किया है.
लेकिन क्या केजरीवाल
अपना ये वादा पूरा कर पाएंगे.
ये सवाल इसलिए भी
क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी
के चुनावी क्षेत्र के दो घाटों
को भी हाल ही में फ्री वाई-फाई
जोन बनाया गया है. दशाश्वमेध
घाट और शीतला घाट पर फ्री
वाई-फाई की योजना
लागू हो गई है. प्रधानमंत्री
के चुनावी क्षेत्र में फ्री
वाई-फाई के लिए
करीब100 करोड़ रुपये
का खर्च आया है. सवाल
ये उठ रहा है कि क्या केजरीवाल
दिल्ली के महज 37 हजार
करोड़ के बजट से मोटी रकम दिल्ली
की हवाओं में तैरते इंटरनेट
पर खर्च करने जा रहे हैं.

ये सवाल बड़ा इसलिए
भी है कि क्योंकि वाराणसी में
फ्री वाईफाई के लिए सीमा तय
की गई है. जबकि अम
आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र
में इस बात का खुलासा नहीं
किया है कि फ्री वाई-फाई
की सीमा क्या होगी. अगर
बनारस की बात करें तो यहां 30
मिनट तक वाई-फाई
का इस्तेमाल मुफ्त रखा गया
है. इसके बाद के लिए
कंपनियों के डाटा कार्ड दिए
जाएंगे जिसमें 30 मिनट
के लिए 20रुपये,
60 मिनट के लिए 30
रुपये, 120 मिनट
के लिए 50 रुपये.
अगर आप पूरा दिन इंटरनेट
का इस्तेमाल करना चाहते हैं
तो 70 रुपये चुका कर
कर सकते हैं प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी वाराणसी में 24
घंटे मुफ्त वाई फाई
नहीं दे पाए, ऐसे
में अरविंद केजरीवाल क्या
जुगाड़ भिड़ाते हैं इसके लिए
सबकी नजरें टिकी हुई है