Monday, 5 December 2016

स्वमी ओम के बाद मनु पंजाबी भी होंगे घर से बहार

बिग बॉस के घर से स्वामी ओम के घर से बाहर होने के बाद अब मनु पंजाबी भी आपको घर में नजर नहीं आएंगे। मनु पंजाबी और स्वामी ओम को सेलिब्रिटी रियलिटी शो 'बिग बॉस' से अचानक बाहर होना पड़ रहा है। पिछले दिनों दिल्ली की एक अदालत द्वारा स्वामी ओम के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था जिसके बाद यह तय माना जा रहा था कि कुछ ही दिनों में उन्हें शो से बाहर जाना पड़ेगा. लेकिन यह घरवालों और दर्शकों को चौंकाते हुए शो के सबसे मजबूत प्रतिभागियों में से एक मनु पंजाबी को भी 'बिग बॉस' ने घर से बाहर निकलने के निर्देश दे दिए. दरअसल बताया ये जा रहा है कि मनु पंजाबी की मां का देहांत हो गया है और इस वजह से उन्हें 'बिग बॉस' का घर छोड़ना पड़ा.

Tuesday, 2 August 2016

DU में Admission के लिए Students के पास अब भी चांस

कई College में जनरल के लिए अब भी बची है सीटें, मेरिट लिस्ट के आधार पर हो रहे हैं दाखिले


New Delhi, August 2 DU डीयू में दूसरी मेरिट लिस्ट के तहत Admission शुरू हो चुके हैं और काफी हद तक सीटें भर भी चुकी हैं, College में ज्यादातर रिजर्व्ड कैटिगरी की सीटें खाली हैं, लेकिन कुछ College ऐसे भी है जहां पर अब भी बीए प्रोग्राम, बीकॉम ऑनर्स, इको ऑनर्स जैसे कोर्स में जनरल केटगरी के लिए भी चांस है. ऐसे में तीसरी मेरिट लिस्ट में भी Students को DU में दाखिला लेने का मौका मिल सकता है.

3 अगस्त को तीसरी मेरिट लिस्ट 
जनरल केटगरी की जो सीटें बची है वो बहुत ही कम है, ऐसे में तीसरी लिस्ट आते ही Students को अपने लिए सीट रिजर्व करनी होगी, नहीं तो मौका हाथ से निकल सकता है. मेरिट लिस्ट के आधार पर DU में दाखिले के लिए तीसरी लिस्ट 3 अगस्त को आएगी.

इन कॉलेजों में है चांस 
Students को तीसरी मेरिट लिस्ट में इन College में मौका मिल सकता है. ARSD College में अब भी बीकॉम ऑनर्स, बीकॉम कोर्स, बीएससी फिजिकल साइंस, इंग्लिश ऑनर्स की जनरल कैटिगरी में भी सीटें खाली हैं। इस College में ओबीसी समेत बाकी रिजर्व्ड कैटिगरी की सीटें भी लगभग कई कोर्सेज में बची हुई हैं। College में अब भी कुल 350 से ज्यादा सीटें बची हुई हैं. मोतीलाल नेहरू College में भी बीकॉम, मैथ्स ऑनर्स, बीएससी फिजिकल साइंस - केमिस्ट्री, बीएससी फिजिकल साइंस - कंप्यूटर जनरल कैटिगरी की सीटें खाली हैं। इन कोर्सेज में रिजर्व्ड कैटिगरी की सीटों के लिए भी स्टूडेंट्स ने अप्लाई किया है। यहां बाकी कोर्सेज में रिजर्व्ड कैटिगरी की सीटें काफी खाली हैं। श्री अरबिंदो College में जनरल कैटिगरी में बीकॉम, बीकॉम ऑनर्स, इंग्लिश ऑनर्स, बीए प्रोग्राम, बीएससी फिजिकल साइंस समेत कुछ और कोर्सेज में कई सीटें खाली हैं। College में जनरल की 150 के आसपास सीटों और रिजर्व्ड की करीब 50 सीटों के लिए नोटिफिकेशन निकाला है

Aishwarya पर भड़का Bachchan परिवार !

'ऐ दिल है मुश्किल' में Intimate सीन को लेकर नाराजगी

New Delhi, August 2 बॉलीवुड एक्ट्रेस Aishwarya Rai Bachchan और Ranbir Kapoor की आने वाली फिल्म बीच 'ऐ दिल है मुश्किल' में Aishwarya की एक सीन को लेकर Bachchan परिवार नाराज हो गया है. दरअसल बताया ये जा रहा है कि इस फिल्म में Aishwaryaऔर Ranbir के बीच एक हॉट सीन फिल्माया गया है. और ये सीन अब फिल्म के आने से पहले से ही विवादों में घिर गया है. Aishwaryaऔर Ranbir के इस हॉट सीन से बच्चन परिवार काफी नाराज है.

करण जौहर से बोला बच्चन परिवार सीन हटाओ !
Aishwaryaऔर Ranbir के बीच 'ऐ दिल है मुश्किल' में फिल्माए गए हॉट सीन से बच्चन परिवार न सिर्फ काफी नाराज है, बल्की बताया तो यहां तक जा रहा है कि BigB फिल्म के निर्माता-निर्देशक करण जौहर से Aishwaryaऔर Ranbir के इस हॉट सीन हटाने को कहा है. Aishwarya बच्चन परिवार की बहू हैं, ऐसे में अमिताभ नहीं चाहते थे कि फिल्म में इस तरह का कोई भी सीन हो, जो पर्दे पर बच्चन परिवार की गरिमा को खराब करे

आखिर फिल्म से हटाना पड़ा सीन 
'ऐ दिल है मुश्किल' के निर्माता-निर्देशक करण जौहर ने काफी सावधानी के साथ Aishwaryaऔर Ranbir के बीच एक इंटीमेट सीन फिल्माया था. उनकी मानें तो इस सीन को फिल्माते वक्त करण ने खासा ध्यान दिया रखा था कि Aishwaryaऔर Ranbir के बीच फिल्माये जा रहे ये Intimate सीन किसी भी तरह से अश्लील ना लगे, लेकिन इस सीन को इतना ध्यान से फिल्माने के बाद भी बिग बी नाराज हो गए और करण आखिरका करण जौहर को ये सीन फिल्म से हटाना पड़ गया.

ऐश्वर्या और रणबीर के बीच होना था लिपलॉक
इस फिल्म से Aishwaryaऔर Ranbir के बीच फिल्माये गए Intimate सीन को तो हटा दिया गया है, लेकिन इससे पहले इस फिल्म में Aishwaryaऔर Ranbir के बीच एक लिपलॉक भी फिल्माया जाना था. लेकिन इसके लिए खुद Aishwarya ने मना कर दिया था. इसके पीछे वजह Aishwarya ने उम्र का फासला ज्यादा होने बताया था. Ranbir के साथ लिप लॉक नहीं करने के पीछे Aishwarya ने कारण बताया था कि वो Ranbir से उम्र में काफी बड़ी हैं, ऐसे में ये सीन फिल्म में बिल्कुल नहीं जचेगा

Tuesday, 12 May 2015

👌ख्वाहिश👌

 ख्वाहिश  नही  मुझे  मशहुर  होने  की। 
आप  मुझे  पहचानते  हो  बस  इतना  ही  काफी  है। 
अच्छे  ने  अच्छा  और  बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे। 
क्योंकि...  
जिसको  जीतनी  जरुरत थी,  
उसने  उतना  ही  पहचाना  मुझे। 
ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  भी   कितना  अजीब  है, 
शामें  कटती  नहीं,  और  साल  गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं.
एक  अजीब  सी  दौड़  है  ये  ज़िन्दगी, 
जीत  जाओ  तो  कई  अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं, 
और  हार  जाओ  तो  अपने  ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।

👍👍👍

नम्रता नारायण कांडपाल
टोटल न्यूज

Thursday, 12 March 2015

 वाह! रे आम आदमी

दिल्ली में प्रचंड बहुमत के बाद 14 फरवरी 2015 को अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की तस्वीर बदलने के लिए, व्यवस्था की बुराइयों को दूर करने के लिए, पांच साल में 100 साल पुरानी दिल्ली को नई सूरत देने की शपथ ली। अपनी सोच में जनता की भागीदारी को भी शामिल किया। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार पर ब्रेक लगाने के लिए दिल्ली वालों को स्टिंग का तरीका भी सिखाया था। इस सीख और नसीहत में स्टिंग ऑपरेशन के तरीके भी बताए गए। केजरीवाल की इस सीख में कहीं भी उस गाइडलाइन का जिक्र नहीं था जिसकी दुहाई अब दी जा रही है। जिक्र इसलिए भी नहीं था क्योंकि ये बात वही केजरीवाल कह रहे थे जिनके स्वर आम आदमी पार्टी के लिए हरिश्चंद्र के वाक्य के समान हैं। महीने भर का ही तो फर्क है। दिल्ली से भ्रष्टाचार दूर करने के लिए जनता को स्टिंग के लिए तैयार कर रहे थे, लेकिन अब एक स्टिंग सामने आया है। जिसने सवालों के घेरे में उस नैतिकता को कैद कर दिया है जिसकी बुनियाद पर आप ने जनसमर्थन की मीनार खड़ी की थी। आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक राजेश गर्ग और अरविंद केजरीवाल के बीच की इस बातचीत ने आप के नैतिक मूल्यों पर सवाल उठा दिये। इस बातचीत में दिल्ली में किसी भी तरह से सरकार बनाने के लिए जुगाड़ की तलाश की जा रही है। 2013 के दिल्ली चुनाव में कांग्रेस की कमर टूटी थी इस बातचीत में उसके विधायकों को तोड़ने की कोशिश हो रही थी। बात गंभीर है इसलिए इसपर सवाल भी उठने में तनिक भी देरी नहीं हुई। पूरा संविधान याद आ गया। संविधान की दफा... धारा... गाइडलाइन... न्यायपालिका.... व्यवस्थापिका.... कार्यपालिका सबकुछ। सभी की भूमिका और सभी के तय किये गए मानदंड सामने आ गए। स्टिंग की आंच जबतक पड़ोस के घर को झुलसाती थी तो सवाल यही चेहरे करते थे। लेकिन इसबार आंच इनके घर में लगी है जिसमें घिरे हैं इनकी पार्टी के मुखिया तो दुहाई और सफाई के लिए दफा और धाराओं को बचाव के लिए इस्तेमाल कर लिया गया। सियसत की ये सहूलियत हर किसी को नसीब नहीं होती। ये मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि एक और स्टिंग का दावा किया गया.. इस बार सवालों के घेरे में पार्टी के कद्दावर नेता संजय सिंह थे...दिल्ली में 2015 के दो महीने बीत चुके हैं। तीसरे महीने का दूसरा हफ्ता चल रहा है। लेकिन दिन महीने और हफ्ते के इस हिसाब ने आप का हिसाब गड़बड़ा दिया है। गड़बड़ी इतनी हुई कि सवालों ने पार्टी के बड़े नेताओं का पीछा करना शुरु कर दिया। मार्च के पहले हफ्ते से शुरु करें तो पार्टी के बड़े नेताओं के लिए विवादित नेता हो चुके योगेंद्र यादव के खिलाफ एक फोन की रिकॉर्डिंग सामने आई। जिसमें बात ये की गई कि योगेंद्र यादव ने पार्टी के खिलाफ अखबारों में खबर छपवाई। योगेंद्र यादव सफाई देते रहे टेप की सत्यता पर इन्होंने भी सवाल उठाए थे। लेकिन योगेंद्र यादव की ये दलील और दुहाई आप के नेताओं की सोच को बदल न सकी। वो मन बना चुके थे फैसला भी ले चुके थे। इंतजार केवल राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उस फैसले पर मुहर लगने की थी। पार्टी लाइन के खिलाफ काम करने के लिए पीएसी से योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पीएसी से बाहर कर दिया गया। ना टेप की जांच हुई ना ही सत्यता का परीक्षण। योगेंद्र के खिलाफ जो टेप सामने आया था उसका कोई शक्ल नहीं था। केवल दो आवाज थी। हफ्ते भर बाद एक और टेप सामने आया। इसका भी कोई सूरत नहीं था। केवल दो आवाज सुनाई दे रही थी। लेकिन फर्क काफी बड़ा था। क्योंकि एक आवाज आप के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की थी और दूसरी आप के पूर्व विधायक राजेश गर्ग की।11 मार्च की सुबह आप के दफ्तर से लेकर आप के नेताओं के घर तक सवलों ने अपना रुख किया था। बोलने के लिए आप के पास भी कुछ खास बचा नहीं था। सिवाय इसके कि ये कह दें कि टेप की सत्यता तो प्रमाणित हुई ही नहीं है। संजय सिंह आप के वो सिपाही हैं जो दिखते तो बगैर हथियार के हैं लेकिन आप के वज्र गृह की चाबी अपने साथ लेकर घूमते हैं। अब तक के स्टिंग और खुलासों में अंबानी से लेकर गडकरी और वाड्रा से लेकर दिल्ली जलबोर्ड तक पर सवाल उठाए गए थे। लेकिन सवाल खुद पर उठे तो सत्यता और प्रमाणिकता की दुहाई दे दी। केजरीवाल के सामने तो पार्टी के बड़े नेता सीना तानकर खड़े हो गए। लेकिन ओखला से कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान अपनी चमत्कारी घड़ी का चमत्कार सामने लेकर आ गए। कह दिया कि 2014 में 49 दिनों बाद सत्ता से जुदाई के बाद एक बार फिर सत्ता में वापसी के लिए उनसे भी संपर्क किया गया। इस बायन के तुरंत बाद मीडिया के सामने संजय सिंह हाजिर थे और सवाल आसिफ मोहम्मद पर उठा रहे थे कि इस बात की क्या गारंटी है कि आसिफ सच बोल रहे हैं। क्योंकि इनकी सोच है कि सच का आसरा तो आप के करीब है। दूसरों का दावा तो बस बकवास है। आम आदमी पार्टी के बड़े नेता स्टिंग के जाल में घिरे हैं। सवाल हर तरफ से किये जा रहे हैं। लेकिन जवाब कौन देगा। सभी व्यस्त हैं। कुछ कहने के नाम पर बस इतना कहा जा रहा है कि इन खुलासों और सवालों में सत्यता का अभाव है। खुद को बचाने के लिए आप के नेता जो भी बहाने ढूंढ रहे हों लेकिन आरोपों की जिस चार दीवारी के बीच आम आदमी पार्टी घिरी है, उस पर लिखे आरोपों की लिखावट इनकी खुद की है, उस पर लिखे एक एक शब्दों को सियासत की शब्दकोष में आप ने खुद ही लिखा था,लेकिन आज खुद उन शब्दों के आयामों को भूलते से नजर आ रहे है। स्टिंग को आम आदमी ने हथियार बनाया, एक बार नहीं, बार बार उसी बात को दोहराया, चाहे मंच रैली का हो या शपथ का मचान स्टिंग की ताकत को बुलंदी से उठाया, लेकिन अब ये तो खुद ही घिरते नजर आ रहे है... इस स्टिंग से निकले शब्द सवाल उठा रहे है सियासत की स्टाईल पर और सवाल उठा रहे है सियासतदानों की नैतिकता पर। खैर इन सब के बीच इस स्टिंग की पूरी पटकथा पर अब नए सवालों ने अपनी जगह बना ली है, साथ ही ये भी साप कर दिया है कि राजनीति में रिश्तों की उम्र बहुत छोटी होती है।

 वाह! रे खट्टर साहब

              सूबे में पहली बार अपनी दम पर सरकार... 4 सीट से 47 सीट पर कब्जा...हरियाणा में अगर बीजेपी ये कमाल कर पाई तो इसमें किसानों का भी बड़ा योगदान था...किसानों ने बीजेपी को वोट दिया तो इसके पीछे वो तमाम वादे थे जो बीजेपी ने किसानें से किये थे...लेकिन सरकार बनते ही बीजेपी ने एक ही झटके में भूमि अधिग्रहण पर मिलने वाले मुआवजे को आधा कर किसानों का कमर तोड़ दिया है..बीजेपी ने कैसा दिया है किसानों को धोखा जरा इसे समझिये...दरअसल भूमी अधिग्रहण के नए नियम के मुताविक किसानों से जमीन लेते वक्त ग्रामीण और शहरी दोनों के लिए अलग-अलग मुआवाजे का प्रावधान है..जिसमें निर्धारित मुल्य पर शहरी क्षेत्र में गुणांक 1.0 रहेगा लेकिन यही गुणाक ग्रामीण क्षेत्र में 1.0 से 2.0 तक कुछ भी हो सकता है...अब हरियाणा सरकार राज्य में इसे बदलते हुए ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र में निर्धारित मुल्य पर गुणांक 1.0 कर दिया है...जिसका सीधा असर किसानों को मिलने वाला ना सिर्फ मुआवजा पर पडेगा बल्की किमत आधी हो जाएगी...इस नीति का क्या असर पड़ेगा जरा इसे भी समझ लिजिए...फिलाहाल अगर किसी जमीन कि कीमत 20 लाख एकड़ है तो 2.0 फैक्ट के मुताविक 20 लाख x 2.0 = 40 लाख + उतना ही सोलेशियम यानी 40 लाख + 40 लाख  = 80 लाख का मुआवजा बनता है...लेकिन इस नियम के लागू होने से मुआवजे की राशी 20 लाख x 1.0 = 20 + सोलेशियम यानी 20 लाख + 20 लाख = 40 लाख रह जाएगी...सीधे तौर पर आधा यानी 40 लाख का नुकसान...अब किसान सूबे की सरकार के इस फैसले से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं

               किसानों को कम मुआवजा देने पड़ा इसके लिए हरियाणा की बीजेपी सरकार ने महज गुणांक में ही बदलाव नहीं किया है, बल्की कुछ इलाकों में तो मुआवजा पर मिलने वाला सौ फीसदी सोलेशियम से भी छेड़ छाड़ किया है और इसे घटाकर 30 फीसदी तक कर दिया है, जिसकी गवाही ये दस्तावेज दे रहा है..दरअसल रेवाड़ी के 16 गांव का अधिग्रहण आदेश नंबर 13 जो कि 4 दिसंबर 2014 को जारी किया गया था उसमें मुआवजे पर मिलने वाला सौ फीसदी सोलेशियम को 30 फीसदी कम कर दिया गया...यानी पहले गुणांक में कमी और रही सही कसर सोलेशियम को कम कर हरियाणा की बीजेपी सरकार ने पूरी कर दी...अब जरा इसका भी अंतर समझ लीजिए कि इससे किसानों को कितमा नुकसान होगा या कितना कम मुआवजा मिलेगा...इस स्थिति में किसानों को जो मुआवजा मिलेगा वो कुछ इस तरह होगा...अगर एक एकड़ की कीमत 20 लाख है तो. 20 लाख x 1.0 जो कि हरियाणा की खट्टर सरकार ने नया गुणांक तय किया है =  20 लाख + सोलेशियम 30% यानी 20 लाख + 6 लाख = 26 लाख... इसको अगर जो केंद्र सरकार ने लागू किया है उससे आंका जाए तो नुकसान कुछ इस तरह का होगा... नए कानून के मुताविक किसानों को मुआवजा के तौर पर 80 लाख बनता है लेकिन हरियाणा की बीजेपी सरकार के नीति के मुताविक 26 लाख यानी 80 लाख - 26 लाख = 54 लाख का नुकसान.

वाह ! रे मोदी 

सुर बदले, तेवर बदले,सब शंखनाद क्यों बंद हुए,
छप्पन इंची सीने वाले भाषण भी क्यों मंद हुए,

केसर की क्यारी में तुमने कमल खिलाया अच्छा है,
और नमाज़ी कस्बों में भगवा लहराया अच्छा है,

लोकतंत्र की दिए दुहाई,सत्ता सुख में झूल गए,
आखिर श्याम प्रसाद मुखर्जी की कुर्बानी भूल गए,

भारत माँ फिर से घायल है,अपने ही अरमानो से,
सिंहों का अनुबंध हुआ है,गीदड़ की संतानों से, 

आँखे टेढ़ी किये हुए है,संविधान के खाते पर,
देखों मुफ़्ती थूक रहा है लाल किले के माथे पर,

अफज़ल के अवशेष मांगने वाले जिद पे अड़े हुए,
कुछ तो बिरियानी की प्लेटें ले बॉर्डर पर खड़े हुए,

दिल्ली वालों की ज़ुबान भी लाचारी में अटकी है,
वीर सैनिकों की कुर्बानी लालचौक पर लटकी है,

माँ के सर का पल्लू,वहशी हाथों ने फिर थामा है,
लगता है अखंड भारत का भाषण केवल ड्रामा है,

पूछ रहा हूँ मोदी जी से,पूछूं भाग्य विधाता से,
क्या सत्ता की चाह बड़ी है प्यारी भारत माता से,

अगर तिरंगा गद्दारों के चरणों में गिर जाएगा,
सवा अरब की उम्मीदों पर पानी ही फिर जायेगा,

भरत वंशियों उठो,शत्रु के लोहू का जलपान करो,
भारत माँ पर एक नहीं,सौ सरकारे कुर्बान करो,

वर्ना दर्द यही निकलेगा,गंगा की फरियादों से,
राम के बेटे हार गए हैं जिन्ना की औलादों से